छतो पर,बालकनियो में,गलियों में, दरवाजे पर बड़ी भीड़ खड़ी थी,हर हाथ में शोर करने के लिए कुछ न कुछ था, घर में पड़े बर्तन, शंख, घंटी वो कुछ भी जिससे शोर उत्त्पन्न हो सके, एक शोर था,आवाजो का ‘गो कोरोना गो’| टीवी से लेकर अखबार तक शहर से लेकर गाँव तक | प्रधानमंत्री मोदी के एक आह्वाहन ने विज्ञान के सारे तर्क धाराशायी कर दिए. डाक्टर से लेकर वैज्ञानिक , नेता से लेकर अभिनेता, बस एक हि नाम एक ही जाप ‘मोदी मोदी’ ‘न भूतो न भविष्यति’| दूसरी तरफ एक गरीब गुरबा तबका, सड़क,रेल की पटरियों से लेकर पगडंडियों तक कंधे पर छोटे छोटे बच्चे, सामान, हाथो में बुजुर्गो के हाथ थामे, भूख और प्यास को दबाये हुए डरी सहमी हुई शांति से नंगे पाँव पुलिस और स्थानीय दबंगों से बचते बचाते पैरो की आवाज को दबाते हुए अपने घर लौटने को आतुर थी|गरीबो की मदद के लिए प्रधानमन्त्री मोदी के आह्वाहन पर पीएम केयर में लोगो ने, जनसंगठनो ने, सरकारी कर्मचारियों ने खुले हाथो से दान किया.राजनीति भी अपने पर चरम थी.
इन्ही झंझावातो के बीच उत्तर प्रदेश के 2022 विधानसभा के चुनावों की चर्चा की गूंज भी शुरू हुई | चुनाव में राजनैतिक बदलाव के लिए कुछ जन संगठनो के माध्यम से हम लोगो ने पचास ऐसी विधानसभा सीटो का चयन किया जन्हा भाजपा गठबंधन ने कम अंतर से चुनाव जीता था | जन संगठनो ने सामूहिक तौर अपने कार्यक्षेत्र की विधानसभा में चुनावी अभियान चलाये | सामाजिक कार्यकर्ताओ की टीम ने सामुदायिक प्रभाव वाले व्यक्तियों, पंचायत स्तर पर राजनीति कर रहे व्यक्तियों, धार्मिक प्रमुखों के साथ ही व्यक्तिगत स्तर पर संवाद किये. गाँवो,शहरों और कस्बो में ड़ोर टू डोर कैम्पेन चलाया गया| विधानसभा चुनाव में लोगो के साथ जन सम्पर्क करते हुए आक्सीजन की कमी से मरे अपने लोगो ,संबंधियों की चर्चा ज्यादा निकल कर आती थी |
महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों के साथ कोरोना में हुई परेशानी पर लोगो के आक्रोश को देखते हुए ऐसा लग रहा था की चुनाव में भाजपा की उत्तर प्रदेश में सरकार नहीं बनेगी|कोरोना में हुई लोगो की मौत,किसान आन्दोलन,आम आदमी की रोजी रोटी के लिए संघर्ष की बात हर जगह हर समय हर चट्टी और चौराहे पर थी,लोग की बाते और व्यवहार से राजनैतिक बदलाव की दशा संभव लग रही थी| हम लोगो की टीम ने कांग्रेस,सपा और बसपा के राज्य पदाधिकारियों के साथ बैठके भी की| लखनऊ में सामाजिक क्षेत्र से जुड़े जन संगठनो की एक दिवसीय बैठक आयोजित की गई जिसमे मैनिफेस्टो को कांग्रेस और सपा के पदाधिकारियों को सौंपा गया| टीम के द्वारा प्रयास किया गया की एक साथ गठबंधन हो सके परन्तु संभव नहीं हो पाया|
लेकिन दस मार्च २०२२ को आये नतीजो ने सभी तथ्यों को नकारते हुए भाजपा की योगी सरकार को पुनह सत्ता में वापसी करा दिया | चुनाव के बाद साथियो के साथ समीक्षा बैठक में और संवाद से यह अनुभव हुआ की मुद्दे पर सामाजिक आंदोलनों में आने वाले लोग वोट करते समय सिर्फ मुद्दा ही नहीं देखते,जाति,धर्म जैसे मुद्दे वोट का प्रमुख कारण बन जाते है | मतदान के दौरान लोगो का राजनैतिक मूल्यांकन भी आवश्यक है, मुद्दों की चर्चा पर नाराजगी अलग है और अंतिम समय पर वोट डालते समय निर्णय लेने का नजरिया अलग है | इस तथ्य को समझने में हमलोग चुक गए | कुछ समय के लिए ऐसा लग रहा था की जनता को मुद्दे से कोई फर्क नहीं पड़ता, मोदी और योगी का जादू बरकार है. लोग कोरोना में हुए अपनों की मौत को भूल गए है ,पांच किलो राशन संविधान बचाओ के मुद्दे पर भारी पड़ रहा है|
उत्तर प्रदेश डेमोक्रेटिक यूथ फ्रंट की बैठक में यह निर्णय लिया गया की पूर्वांचल के जिलो में हम लोग लगातार काम करेंगे | इसके लिए संवैधानिक मूल्यों पर जागरूकता और नागरिक अधिकारों के लिए ग्रामीण स्तर पर कार्य शुरू किया गया | इसमें संविधान यात्रा, गोष्टी, लोगो को कल्याणकारी योजनाओ से जोड़ना आदि कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ| अपने स्वयम के अन्दर राजनीतिक समझ विकसित करने के लिए मैंने इन्डियन स्कुल ऑफ़ डेमोक्रेसी का ‘द गुड पोलिटिशियन’ कार्यक्रम ज्वाइन किया| सामाजिक मुद्दों में आने वाले जन समर्थन को वोट में बदलने,बूथ लेबल रणनीति बनाने और उस पर कार्य करने की समझ बनी | उत्तर प्रदेश डेमोक्रेटिक यूथ फ्रंट के अन्य साथियों के साथ ISD और संस्थानों से सामाजिक,राजनीतिक समझ और रणनीति बनाने की प्रक्रिया में प्रशिक्षण और संवाद चलता रहा| मे ISD के माध्यम से मेंढा लेखा और अन्य सथानो,संस्थानों में की गई विजिट और सामाजिक,आर्थिक और राजनैतिक बदलाव के लिए कार्य कर रहे व्यक्तियों से संवाद से यह समझ बनी कि राजनीति से केवल सत्ता परिवर्तन हो सकता है व्यवस्था परिवर्तन नहीं |
राजनैतिक बदलाव के लिए हार की वजहों को तलाशते हुए लोगो से संवाद से यह एक गैप निकला जिसमे एक बड़ा तबका यह मान रहा था कि कोई ऐसा नेतृत्व राष्ट्रीय स्तर पर नहीं दिख रहा है जो लोगो की मुलभुत समस्याओं की लड़ाई लड़ता हुआ दिख रहा हो | कोई ऐसा नेतृत्व नहीं है जो भारत के आम आदमी से जुडा हुआ हो | प्रदेशो के स्तर पर कई राज्यों में नेतृत्व तो मौजूद थे परन्तु देश स्तर पर कोई ऐसा नेतृत्व लोगो को नहीं दिख था जिसे सभी क्षेत्रीय दल और उनके कोर मतदाता भी अपना नेता स्वीकार करे |
इसी दौर में भारत जोड़ो यात्रा ने इस विकल्प की नीव रखी | भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य चाहे कुछ भी रहा हो परन्तु उसकी शुरुवात में भाजपा द्वारा मुद्दा विहीन ट्रोल ने राहुल गाँधी और भारत जोड़ो यात्रा की तरफ लोगो का ध्यान आकर्षित किया और मुख्य मिडिया में स्थान दिलाने का मजबूत कार्य किया | यात्रा से लोगो में केन्द्रीय नेतृत्व की आश उत्पन्न होने लगी, इसी बीच भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही संघ की खाकी पेंट में आग लगी तस्वीर ने मोदी सरकार के खिलाफ की चल रही राजनैतिक लड़ाई में संघ के खिलाफ भी एक मोर्चा खोल दिया. भारत जोड़ो यात्रा देश की सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक लड़ाई की तरफ बढ़ रही थी,भारत जोड़ो यात्रा भारत जोड़ो अभियान की तरफ बढ़ गई. कर्नाटक के चुनाव परिणामो ने इसे संजीवनी दिया| लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और छतीसगढ़ विधान सभा की हार ने इस पर सवाल भी उठाये, लेकिन यह यात्रा अब लोगो के अन्दर सवाल उठाने और मोदी की नीतियों पर पुनर्विचार करने की सोच को जन्म दे चुकी थी खासकर मोदी मैजिक के शिकार लोग भी धर्म के बाद रोटी रोजगार सवाल पर मोदी को फेल मानने लगे |
भारत जोड़ो अभियान ने इण्डिया गठबंधन के रास्ते को प्रशस्त किया, यह राजनैतिक हालातो को बदलने के लिए अंको के हिसाब से एक मजबूत गठबंधन था.कार्यकर्ताओं के व्यावहार और आवाजो में मजबूती दिखने लगी | राजनैतिक फायदे और सत्ता के हिसाब से इण्डिया गठबंधन का ताना बाना चलता रहा|भारत जोड़ो अभियान के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में प्रारम्भिक चरण में वोटो को प्रभावित करने वाले व्यक्तियों,संगठनो ,धर्म गुरुओ, लोगो के साथ संवाद और बैठकों में वोटर लिस्ट में नाम जुडवाने तथा मतदाता सूची के प्रति जागरूकता का विषय प्रमुख था |
लखनऊ में अल्पसंख्यक धर्मगुरूओ और प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ एक दिवसीय बैठक में मतदाता जागरूकता और सौ प्रतिशत मतदान अभियान पर चर्चा की गई| सोसल मिडिया में साथियों को बेहतर कार्य करने के लिए पूर्वांचल के जौनपुर में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया| कार्यशाला में सोसल मीडिया के टूल्स के इस्तेमाल से स्थानीय मुद्दों को जनता के बीच में लाने का पर संवाद और प्रशिक्षण हुआ| लोगो के बीच संविधान यात्रा,नुक्कड़ नाटको आदि के माध्यम से मतदान जागरूकता और मुद्दों पर मतदान करने के लिए अभियान चलाये गए|बूथ को मजबूत करने के लिए एक बूथ 5 यूथ अभियान चलाया जा रहा है|
ये मुहीम आगे बढ़ रही थी और उत्तर प्रदेश में बदलाव की चुनौती को स्वीकार करके कार्यक्रम चल रहे थे तभी समाजवादी पार्टी के साथ कमलनाथ जी के विवादित बयान फिर उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के बयान, अखिलेश यादव के अजय राय पर बयान और फिर उस पर अजय राय की प्रतिक्रिया ने जमीन पर भारत जोड़ो अभियान के साथियो के साथ ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के वो कार्यकर्ता जिन्हें लग रहा था की मिलकर उत्तर प्रदेश में मोदी को चालीस सीटो से भी कम पर रोका जा सकता है उनमे हताशा पैदा कर रही थी | अब यह सन्देश साफ़ आने लगा की जो उम्मीद सत्ता परिवर्तन की दिख रही थी, वह टूट रहा है | इसी बीच भारत जोड़ो अभियान में इस उठापटक के बीच भारत जोड़ो न्याय यात्रा का प्रारम्भ हो गई |
इस न्याय यात्रा के शुरुआत से ही राजनैतिक स्थितिया तेजी बदलने लगी,रही सही कसर इण्डिया गठबंधन के सूत्रधार नितीश कुमार एनडीए में शामिल हो गए. ये एक ऐसी खबर थी जिसने हम लोगो को बहुत प्रभावित किया, उस समय व्यक्तिगत तौर पर संबल बनाये रखने का मुश्किल समय था |साथियों से संवाद में यह तय किया गया की हम लोग मतदाता सूची और जागरूकता का अपना कार्य जारी रखेंगे | एक मुश्किल दौर था जिसमे भारत जोड़ो अभियान से जुड़े कुछ साथियो ने भी यह कहना भी शुरू कर दिया की अब उत्तर प्रदेश में कुछ नहीं हो सकता|
इन्ही झंझावातो के बीच उत्तर प्रदेश में पल्लवी पटेल, स्वामी प्रसाद मौर्या जैसे लोग अलग गुट बनाने में जुटे रहे | बहन मायावती की जमीन पर निष्क्रियता दलित वोटो को भर्मित कर रही थी. इन्ही सब के बीच भारत जोड़ो न्याय यात्रा में मै भी छत्तीसगढ़ ,झारखंड , बिहार और उत्तर प्रदेश की यात्रा में शामिल हो गया| यात्रा में हो रहे जन संपर्क में संवाद एक अलग ही सन्देश दे रहे थे| यात्रा के दौरान जो आम आदमी की भीड़ आ रही थी वो स्वत आ रही थी. नौकरी को लेकर युवाओं का जमावड़ा, महंगाई और किसानो के मुद्दे पर लोगो की आपस में कानाफूसी कुछ अलग ही सुर कह रहे थे बाहरी लोगो से कुछ और बोल रहे थे और परन्तु उनकी आपस की बातचीत में कुच्छ अलग ही सन्देश था| ऐसा लग रहा था की आवाम भी अपने राजनीति के सुर बदल रही थी. लोगो की चुप्पी कुछ अलग थी. इसे ही राजनीति में शायद अंडर करंट कहा जाता है|
महिलाओं से संवाद में महंगाई से अधिक रोजगार और शिक्षा पर चिंता अधिक दिखती थी | उत्तर प्रदेश में रोडवेज से बाराबंकी लोकसभा की यात्रा में बगल की सीट पर महिलाओं का आपस में चल रहे वार्तालाप में इसका सन्देश बड़ी स्पष्ट था वो कह थी की ‘मनई दिन रात सुबह शाम दौड़ रहे है और भर्ती नहीं आ रही है जो आती है वह भी कुछ दिन बाद रुक जाती है, पता न भगवान क्या करेंगे.’ एक दूसरी घटना में महिलाओ के साथ बैठक में महिला ने कहा की सरकारी स्कुलो में पढ़ाई एक दम नहीं हो रही है जिसके पास पैसा है वह तो निजी स्कुलो में पढ़ाई कर ले रहा परन्तु गरीब क्या करे .पांच किलो राशन से परिवार थोड़े चलेगा.’ सरकार बस बड़े लोगो की राहुल गाँधी सही कह रहा है, इ सब प्राइवेट कर देगा.’|
फैजाबाद लोकसभा में अयोध्या में सरयू के किनारे ठेले और खोमचे वालो से आमदनी पर सम्वाद में उनका कहना था की हर महीने बहुत सारे मंत्री और अधिकारियों की जाँच के लिए आ रहे है, जब भी यह आते है तो हम लोगो को पुलिस वाले आकर ठेला लगाने को मना कर देते है सफाई के नाम रोज परेशान किया जा रहा है. महीने में आठ दस दिन तो काम बंद ही रहता है.आमदनी कम हो गई है. सड़को के चौडीकरण के नाम पर मकान और दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया ,भाजपा और संघ से जुड़े लोग भी जिनके मकानों पर बुलडोजर चला था और उचित मुवावजा भी नहीं मिला काफी नाराज थे परन्तु खुलकर नहीं बोल रहे थे|
संत समाज के साथ बैठकों में भी सरकार के प्रति नाराजगी दिखी परन्तु हर मठ और संत घरानों को निर्माण के लिए मिली लाखो में सहयोग धनराशी थोड़ी नाराजगी को कम रही थी| सीतापुर, जौनपुर, मछलीशहर, केसरगंज, डुमरियागंज, बांसगांव, गोरखपुर, गाजीपुर, बलिया, घोसी, सलेमपुर,चंदौली और भदोही आदि लोकसभा में उत्तर प्रदेश डेमोक्रेटिक यूथ फ्रंट ,जमाते इस्लामी हिन्द जैसे संगठनो के साथियो के माध्यम से हुई बैठकों में स्थानीय मुद्दों के साथ बेरोजगारी और महंगाई को सोसल मिडिया के माध्यम से लोगो के बीच रखना, बूथ पर काम करने, लोगो को घरो से मतदान स्थल तक पहुचाने और मतदान प्रतिशत बढाने के लिए एक बूथ 5 यूथ की रणनीति पर संवाद किया गया|
प्रत्येक बैठक में ऐसा लगा की लोगो अपेक्षाए,उम्मीदे और मुद्दों पर सहमति राहुल गाँधी से ज्यादा थी | उत्तर प्रदेश में काग्रेस की स्थिति से लोग दुखी थे , उनका कहना था की जमीनी स्तर पर कांग्रेस को कैडर बनाने का काम करना चाहिए| एक अकेला राहुल ही लड़ रहा है, मोदी से भी और पार्टी के अन्दर भी| भारत जोड़ो न्याय यात्रा में राहुल गांधी की लगातार हर मंच पर जाति जनगणना और आरक्षण, संसाधनों का बटवारा, सरकार द्वारा संसाधनों पर अदानी और अम्बानी को छुट , उधोगपतियो को कर्ज माफ़ी , संविधान संरक्षण जैसे मुद्दों पर लगातार हमला क्षेत्रीय दलों के कोर वोटर्स के अन्दर भी धीरे धीरे राहुल गांधी के नेतृत्व विकसित कर रहा था |
दलित, पिछड़ी, अल्पसंख्यक, गरीव और युवा सभी वर्ग एक साइलेंट तरीके से राहुल गाँधी को सुन रहे थे, उस पर चर्चा कर रहे थे, फारवर्ड कर रहे थे. एक गैप जो केन्द्रीय नेतृत्व से इस तरह की अपेक्षा कर रहा था वह भर रहा था और मुद्दों पर इंडिया गठबंधन के मतदाताओं को जोड़ रहा था. मोदी मैजिक में जिस तरह मोदी के भक्त सिर्फ मोदी देखते है , वही कार्य मुद्दे के समर्थको को राहुल गांधी से मिल रहा था | भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा ने व्यक्तिगत रूप से लोगो प्रभावित किया, इसका उदाहरण प्रधानमंत्री को लेकर सीएसडीएस सर्वे है जिसमे उत्तर प्रदेश में प्रधानमन्त्री के तौर पर राहुल गांधी को छतीस प्रतिशत और नरेंद्र मोदी को बत्तीस प्रतिशत लोगो ने पसंद बताया|
भारत जोड़ो अभियान से जुड़े साथियो का मानना है की अभी उत्तर प्रदेश में इस अभियान को लगातार काम करने की आवश्यकता है सिर्फ राजनैतिक परिवर्तन के लिए ही नहीं बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए | इसके लिए यह भी आवश्यक है की इस अभियान के नाम पर पुनराविचार हो | भारत जोड़ो अभियान आम जनमानस में कांग्रेस के लिए कार्य करने वाली इकाई के रूप में देखि जा रही है ,इसलिए इस नाम के साथ काम करने पर आम जनमानस को व्यवस्था परिवर्तन के मतदान करने के कार्य में दिक्कत होगी | लोग इसे राजनीति से जोड़ देंगे | व्यवस्था परिवर्तन तभी संभव है जब सभी विचार के लोग एक साथ मुद्दे पर मतदान करेंगे|
विकास में प्राकृतिक न्याय. सामाजिक न्याय, आर्थिक और राजनैतिक न्याय की समझ विकसित हो|, इसके लिए नागरिक अधिकारों पर जागरूकता कार्यक्रम की आवश्यकता है | स्थानीय मुद्दे पर कार्य करने के लिए साथियो को प्रशिक्षण कार्यक्रम,कार्यक्रमों के संचालन हेतु संसाधनों के लिए आवश्यक है की स्थानीय स्तर पर आजीविका के विकल्प तैयार किये जाय| ग्राम स्तर पर युवाओ को खेलो से जोड़ा जाय| हर गाँव में एक पुस्तकालय की स्थापना की जाय जो उसी गाँव के लोगो द्वारा संचालित किया जाय| लोगो में सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक समझ विकसित करने के लिए कार्यक्रम विकसित किये जाय|वर्तमान राजनीति लोगो के अन्दर धर्म, जाति आदि के आधार पर द्वेष पैदा कर रही इसलिए सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन के लिए युवा शिविर लगाये जाए | लक्षित समूह के रूप में महिलाए और युवाओ को रखा जाय|