यह दस्तावेज़ हिमाचल प्रदेश की पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक स्थिति का समग्र आकलन प्रस्तुत करता है और “हरा-भरा स्वराज” की अवधारणा पर आधारित एक समावेशी विकास रूपरेखा सुझाता है। अध्ययन में बताया गया है कि पिछले तीन दशकों में राज्य का विकास मॉडल कृषि, बागवानी और पर्यटन-केंद्रित दृष्टिकोण से हटकर बड़े अवसंरचनात्मक और जलविद्युत प्रोजेक्टों पर अत्यधिक निर्भर हो गया है, जिससे पर्यावरणीय क्षरण, रोजगार संकट और ग्रामीण पलायन जैसी समस्याएँ गहरी हुई हैं।
पर्यावरणीय स्थिति व रणनीति
रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल के जल, जंगल, जमीन और जलवायु पर जलवायु परिवर्तन, वनों की गुणवत्ता में गिरावट, भूमि क्षरण, हिमनदों के पिघलने और जल स्रोतों के सूखने का गंभीर प्रभाव दिख रहा है, जिससे कृषि, बागवानी और पर्यटन सभी क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं। दस्तावेज़ “प्रकृति पुनर्जनन” के तहत नदी व जलस्रोत पुनर्जीवन, भूजल रिचार्ज संरचनाएँ, मृदा व जल संरक्षण और कार्बन सिक्वेस्ट्रेशन जैसे कार्यक्रमों में बड़े सार्वजनिक निवेश की सिफारिश करता है।
सामाजिक व संस्थागत चुनौतियाँ
सामाजिक विश्लेषण में जनसंख्या के मुख्यतः ग्रामीण होने, उच्च जीवन प्रत्याशा और अपेक्षाकृत बेहतर स्वास्थ्य-सूचकांकों के बावजूद कुपोषण, एनीमिया, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी और दूरदराज़ क्षेत्रों में बुनियादी सेवाओं की कमजोर पहुँच जैसी चुनौतियाँ रेखांकित की गई हैं। शिक्षा में नामांकन अच्छा होने के बावजूद सीखने के स्तर कम हैं, जबकि स्थानीय शासन और संस्थागत प्रदर्शन विभिन्न सूचकांकों पर औसत या उससे नीचे दर्ज किया गया है, जिससे समावेशी विकास बाधित होता है।
आर्थिक व रोजगार संबंधी प्रस्ताव
आर्थिक हिस्से में जीएसडीपी वृद्धि के बावजूद प्राथमिक क्षेत्र की आजीविकाओं में गिरावट, युवाओं का पलायन और पर्याप्त रोजगार सृजन न होने को प्रमुख समस्या बताया गया है। समाधान के रूप में रिपोर्ट “DECI” और “MESO” प्रकार के उद्यमों के विकास, कृषि–पशुपालन–नवीकरणीय ऊर्जा व सेवाक्षेत्र में उद्यमशीलता को बढ़ावा, तथा सूक्ष्म से मध्यम स्तर तक उद्यम उन्नयन के ज़रिये बड़े पैमाने पर उत्पादन, रोजगार और कार्बन-क्रेडिट आधारित वित्त जुटाने की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करती है।
रिपोर्ट पाँच वर्षों में लगभग 1.44 लाख करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान प्रस्तुत करती है, जो सार्वजनिक निधि, जलवायु वित्त, बैंक ऋण और सामुदायिक योगदान से जुटाया जाना है। यह सभी हितधारकों—व्यक्तियों, सामुदायिक समूहों, गैर-सरकारी संगठनों, स्थानीय सरकारों और राज्य/केंद्रीय एजेंसियों—से एक समृद्ध और लचीले हिमाचल प्रदेश के निर्माण हेतु इस समग्र दृष्टि को कार्यान्वित करने में सहयोग का आह्वान करती है।
हिमाचल प्रदेश की पर्यावरण, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का आकलन
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